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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 22 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग: ‘राधेश्याम’ नाम जपाने का माहात्म्य बतलाते हुए जपने का परामर्श।

सीताराम राधेश्याम कहऽ हंसा॥टेक॥
सीताराम राधेश्याम कहऽ हंसा। तब छूटि जइहन भव जाल शंसा॥
सीताराम राधेश्याम कहऽ हंसा। कहि-कहि के हो जा परमहंसा॥
सीताराम राधेश्याम कहऽ हंसा। जेहि के जप गइलन रावण-कंसा॥
सीताराम राधेश्याम कहऽ हंसा। कहत ‘भिखारी’ नाई वंसा॥