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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 23 / भिखारी ठाकुर

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प्रसंग:

‘गोविन्द’ भजने का परामर्श।

भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, भजऽ गोविन्द भाई!
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, सरकार सोझा भाव बतलाई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, तहँ शकल तीरथ चलि आई॥
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, यश जगत में सगरो गवाई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, कलयुग कर मस्तक नवाई॥
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, जरि छार पाप होई जाई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, जम-दूत भगीहन सरमाई॥
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, बाटे उकत सहज उपाई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, फिर अइसन अवसर ना आई॥
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, एक नाम बिनु जइब ठगाई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, कहियो होई अचके विदाई॥
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, नर-तन पा के कइल तूँ काई।
भजऽ गोविन्द गोविन्द भाई, यह कहत ‘भिखारी’ नाई॥