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भजन-कीर्तन: कृष्ण / 5 / भिखारी ठाकुर
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प्रसंग:
श्री कृष्णचन्द्र के जन्म पर सोहर का गायन।
भादो के अन्हारी अष्टमी पावन, बहुत सुहावन हो ललना।
लिहलन कन्हैया अवतार, तब रोदन सुनावेलन हो,
केहू आवत सोहार गावत, थरिया बजावत हो ललना।
नन्दजी के मिलली खबरिया तब डगरिन बोला बोलन हो॥
ललना नंदजी का मिलन पुत्र-रतन हो वेद पढ़त
बिप्र आवत बन्दी जन गुण गावत हो,
ललना तैंतिस कोटि देवता खुशी होके फूल बरसावेला हो।
चरण कमल के धुरी पइतीं तब सिर पर चढ़इलीं हम हो ललना।
‘भिखारी’ अइसन मंगल शिवजी से मनावेलन हो लाल॥