Last modified on 29 जुलाई 2016, at 00:19

भजन बिना जुग-जुग डहकायो / संत जूड़ीराम

भजन बिना जुग-जुग डहकायो।
भूलो फिरत चहुंदिस व्याकुल कर्म कुलाहल भार भरायो।
बाँधे लाल खोल नहीं देखत बिन विवेक कछु नजरन आयो।
मन माया को डोर पकरके काया कर्म जीव अरुझायो।
गये अचेत एक बिन चीन्हें मरमर गये मरम नहिं पायो।
जूड़ीराम शब्द पारख बिन गुरु की संघ चीन्ह नहिं आयो।