भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा / भजन
Kavita Kosh से
भज ले क्यूँ न राधे कृष्णा, फेर पछताओगे॥टेर॥
जिन तोकूँ पैदा किया, उसका नाम कदे नहीं लिया।
ऐसी नर देही बन्दा फेर कब पावोगे॥१॥
तिरिया और कुटुम्ब के खतिर, पच-पच के मर जावोगे॥
माया थारै संग न चाले रीते हाथ जावोगे॥२॥
एक दिन ऐसा होगा बन्दा, यम लेने को आवेंगे।
पूछेंगे हिसाब तेरा फेर क्या बतावोगे॥३॥
सूर के किशोर बन्दा छोड़ दे माया का फन्दा।
हरि के भजन कर पार लंघ जावोगे॥४॥