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भदरक / नीरज दइया
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भोळी बात है
मूठ सूं मिनख मरै!
मिनख तो
मर्यां ई नीं मरै
मारणियो मरै
सोच-सोच’र
जे हुवै- मिनख।
मिनख,
आपरै मांयलै मिनख सूं ई
मिनख हुवै
नींतर उण रै जीवण मांय
कांई भदरक हुवै?