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भय / बेढब बनारसी
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गगन में घन घेर आया
रात है तिथि है अमावस
आक्रमण कर रहा पावस 
नहीं दीपक भी यहाँ है 
हे प्रिये माचिस कहाँ है
पास आओ लग रहा भय, काँपती सम्पूर्ण काया .
हो कहाँ इस कठिन बेला
मैं यहाँ सोया अकेला 
क्या न दोगी तुम सहारा
हार्ट फेल न हो हमारा 
मैं तुम्हें ऐसे समयके ही लिए था ब्याह लाया 
है अँधेरे में बड़ा सा
सामने कोई खडा सा
प्राण तुम चाहो बचाना
प्राण-प्यारी जल्द आना 
दास बनता हूँ, तुम्हें लो आज से मालिक बनाया 
यह न समझो कर बहाना 
चाहता हूँ मैं बुलाना
हृदय धड-धड कर रहा है 
स्वेद दो गगरी बहा है
शीघ्र आओ आ रही बढ़ती हुई है एक छाया 
 
	
	

