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भरथरी लोकगाथा का प्रसंग “रानी का चम्पा दासी को सजा देना”

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अब ये चम्पा दासी राहय ते रागी (हौव)
जा के रानी सामदेवी ल किथे (हा)
रानी (हौव)
में तोला का बतावँव (हा)
कोन भेषे में भगवाने आ जथे (हौव)
अउ कोन भेषे में राजा आ जथे (राजा आ जथे)
वो योगी नोहय तोर राजा ऐ (हौव)
ओतका बात ल सुनथे, रानी राहय तेन (हौव)
एकदम जल-बल के खाख हो जथे (हा)
जइसे नागिन फोंय करथे (हौव)
वइसे रानी उप्पर ले आके (हौव)
चप्पल उतार के (हा)
चम्पा दासी ल चार चप्पल मार देथे (हौव)
त पूछथे (हा)
ते कइसे मोला राजा ये किके केहे (हौव)
कइसे मे मोर राजा होइस तेला बता (हा)
तो किथे रानी, मोर बात ल थोकन मान (हा)
थोकन सुनले (हौव)
तब मोला मारबे (हा)
वो तोर राजा चे, योगी नोहय (हौव)
बतावय नहीं कि ओकर दांत में सोन के हीरा हे किके (हा)
बस ओतका बात ल कइय के रागी (हौव)
चम्पा दासी राहय तेन (हा)

– गीत –

बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा वो
सुन ले रानी मोर बाते ल
मोर बाते ल वो, नाने पने के में आये हौव
ऐदे आये हवव, तोरे संगे दासी बनी के, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी
जतका मारना तोला मारी ले, येदे मारी ले ना
काहत हाबय ये दासी ह
येदे पीठे ल ग, देवन लागथे दासी ह
मोर सखी मन वो, सहेली रोवत हाबे गा, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी
बोले बचन रानी सामदेवी, रानी सामदेवी
सुन लव दीवान मोर बाते ला, मोर बाते ल गा
चम्पा ये दासी ल लेगी के, येदे लेगी के ना
तुमन फांसी लगावव जी, भाई येदे जी
राजा बोलथे वो, करले अमर राजा भरथरी
येदे काहथे वो, करले अमर राजा भरथरी
बाजे तबला निशान, करले अमर राजा भरथरी, भाई येदे जी

– गाथा –

ये चम्पा दासी राहय ते रागी (हौव)
रानी (हा)
मोर पीठ ल मार ले (हौव)
लेकिन पेट ल मत मार (मत मार)
जब से तें शादी होके आय हस (हौव)
तब से तोर संग में छेरिया बन के आय हव (हा)
मोर बात ल मान जा रानी (हौव)
मोर बात ल सुन ले रानी (हा)
अइसे कइके (हौव)
ऐ चम्पा दासी राहय ते रो रो के कलपत रिथे (हा)
ओकर सखी सहेली राहय तेन (हौव)
ओमन भी रोवत रिथे (हा)
सामदेवी राहय ते काकरो बात ल नई माने रागी (हौव)
चारझन दीवान ल आदेश दे देथे (हा)
अरे ये चंडालिन ल तें काय देखत हस (हौव)
कल के दिन योगी ल कहिसे, मोर पति ये किके (हा)
वो योगी चंडाल ह मोर पति हो सकथे (हौव)
लेजा येला फांसी में चढ़ा दे (चढ़ा दौव)
अइसे कइके दीवान मन ला आदेश दे देथे (हौव)
अब ये चम्पा दासी ल राहय तेन
चारझन दीवान ह धरथे रागी (हौव)
अउ काहत रिथे (हा)

– गीत –

बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा वो
सुनी लेवव मोर बाते ल
बोले बचन चम्पा दासी हा, चम्पा दासी हा ना
सुनी लेवव मोर बाते ल
मोर बाते ल ग, तुम सुनी लेवव
मोर बाते ल ग, तुम सुनी लेवव
येदे कही के रोवत हाबय वो, येदे हाबय वो, भाई येदे जी
येदे कही के रोवत हाबय वो, येदे हाबय वो, भाई येदे जी
एकादशी के उपासे हे, ये उपासे हे वो
चम्पा ये दासी ह आजे ना
एका-ऐ-दशी के उपासे हे, ये उपासे दीदी
चम्पा ये दासी ह आजे ना
कतको रोवत हे या, कतको कलपय दीदी
कतको रोवत हे वो, कतको कलपय दीदी
येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के, येदे दासी के, भाई येदे जी
येदे बाते नई सुनत ऐ दासी के, येदे दासी के, भाई येदे जी