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भरपाई / बबली गुज्जर
Kavita Kosh से
उसने कुल दफा
हजार बार, मेरा हाथ थामा
सैंकड़ों बार मुझे चूमा
दसियों बार, सीने से लगाया
पर छोड़कर सिर्फ एक बार ही गया!
कुछ चीजों की न पुनरावृत्ति होती है
न भरपाई!