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भरा नफरतों से ज़माना हुआ है / रंजना वर्मा
Kavita Kosh से
भरा नफरतों से जमाना हुआ है ।
मगर प्यार हमने सभी से किया है।।
कहेंगे उसी द्वार पर दर्द अपना
सुना है वो सुनता सभी की दुआ है।।
खुदा हर मुसीबत से सब को बचाये
सभी खुश रहें बस यही प्रार्थना है।।
न घबरा अगर चोट दिल पर लगी तो
किसी को यहां सुख भला कब मिला है।।
बड़ी मुश्किलों से मिली है ये मंजिल
बहुत यत्न इसकी भी खातिर किया है।।
बिना कष्ट पाये मिला लक्ष्य किसको
कमल कीच में ही हमेशा खिला है।।
सही ताड़ना है जलन अग्नि की भी
तभी स्वर्ण राजा के मस्तक सजा है।।