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भरी घर देवर भैसूरे से ठठ्ठा / मथुरा नाथ सिंह 'रानीपुरी'
Kavita Kosh से
भरी घर देवर भैसुरे सें ठट्ठा
बाते-बातोँ में लाग छै लट्ठा।
करो परहेज, नै छेकै दुनियादारी
अपनोॅ बिचारोॅ में राखोॅ समझदारी
चरै रोॅ धूर छौं, चरोॅ नैं कट्ठा।
बड़ोॅ-छोटोॅ के करोॅ खियाल
छैतैं उमरोॅ में नै पकाबोॅ बाल
मनोॅ केॅ बढ़लोॅ बनोॅ नै पट्टा।
छोटौॅ-बड़ोॅ भायचारा के रीति
मनोॅ के बहकाबोॅ में करोॅ नै प्रीति
तोड़ोॅ नै बंधन, बनोॅ नै नट्ठा।
हँसी के देवर परहेजोॅ केॅ भैसूर
बनोॅ नै इ धन करोॅ नै कसूर
घेघोॅ बढ़ाय केॅ बनावोॅ नें मट्ठा।
समझोॅ ई बातोॅ केॅ करोॅ लिहाज
बाते-बातोॅ में गरम मिजाज
बोली में घोरोॅ गुड़, गाड़ी देॅ लट्ठा।
बातोॅ केॅ मथी बनावोॅ नै रोग
घरोॅ केॅ राखो हरदम निरोग
सम्मति राखि लगावोॅ नी भट्ठा
भरी घोॅर देबर भैसुरे सें ठट्ठा॥