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भरी हुई है सुबह / पाब्लो नेरूदा / अशोक पाण्डे

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भरी हुई है सुबह तूफ़ान से
ग्रीष्म के हृदय में

अलविदा की रूमालों जैसे चलते हैं बादल
हवा उन्हें अपने हाथों में लहराती गुज़रती है ।

हमारी प्रिय ख़ामोशी के ऊपर धड़कते
हवा के अनगिनत हृदय ।

आर्केस्ट्रा जैसी और पावन, पेड़ों के बीच गूँजती
युद्धों और गीतों से भरी भाषा जैसी

हवा, जो एक चपल छापा मारकर मृत पत्तियों को उड़ा देती है
और चिड़ियों के स्पन्दित होते तीरों की दिशा मोड़ देती है ।

हवा, जो बिन बौछार और भारहीन
और झुकी हुई आग के उसे एक लहर में डंगमगा देती है ।

उसके चुम्बनों का पुञ्ज टूटता है और डूब जाता हैं
उसने धावा बोल दिया गर्मियों की हवा के दरवाज़े पर ।

अँग्रेज़ी से अनुवाद : अशोक पाण्डे