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भरोसौ / दुष्यन्त जोशी
Kavita Kosh से
कंवळौ
फूल नीं है
भरोसौ
जिकौ
छोटै-मोटै
तूफान में
अळसा जावै
औ तो
अटल हुवै
हिमालै दांईं
जिण नै
बड्डै सूं बड्डौ
तूफान भी
नीं हला सकै।