भविष्य / सुरेन्द्र स्निग्ध
का हो, बाबू गजेनदर यादव जी,
खूब भोग रहे हैं न, राजसुख !
कैसा लगता है लालबत्ती वाली गाड़ी पर
चढ़कर शहर का सैर-सपाटा !
आपको बना दिया गया है हिन्दी भाषा परिषद् का अध्यक्ष,
तो का समझने लगे हैं अपने आपको ?
आपने नहीं दिया न अँग्रेज़ी के पक्ष में बयान ?
बयान देने में आपकी वो फट जाती क्या ?
आपका साढ़ू मन्त्री विजय मोहन आपको बचा लेंगे क्या?
या बचा लेगा आपका वो साढ़ू एस० पी० घूसखोरवा लाल जी?
कोई नहीं बचाएगा
कोई नहीं
छिना जाएगी गाड़ी, होश ठिकाने आ जाएगा
जाइए घर,
अपना नोटिफ़िकेशन पढ़ लीजिएगा --
उसमें लिखा है
आपकी प्रतिनियुक्ति अगले आदेश तक के लिए ही है !
समझे हैं न अर्थ --
प्रोफ़ेसर तो हैं हिन्दी के
समझिए -- अगले आदेश का क्या माने होता है ?
मुँह क्या झुकाए हैं !
जाइए, रमेश प्रसाद सिंह, राजपूत ही है न !
कैसी लोयाल्टी है -- दे दिया बयान --
आप भी एक बयान दे दीजिए
बहुत हिन्दी का रोना रो लिए
अँग्रेज़ी का कीजिए प्रचार-प्रसार,
तभी आगे बढ़ेगा सूबा-बिहार
जाइए, हटिए,
गन्दा चेहरा हटाइए मेरे सामने से
हिन्दी का चेहरा
सुकचाया हुआ चेहरा
--कुछ सबक सीखिए, अँग्रेज़ी के प्रोफ़ेसर से
समने ही तो खड़ा है, जूनियर प्रोफ़ेसर बनर्जी
देखिए इसकी धार !
यही है भविष्य का सूबा बिहार !!