भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भव-चक्र / नंदकिशोर आचार्य

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

भव-चक्र यह सारा
यदि किसी आवाज़ का है रूप
तो यह कैसे हुआ-

तुम्हारी आवाज़ की लय हो पाना ही
मुक्ति है मेरी?
तुम्हारा भव ही
मेरा भाव है क्या-
और भव-चक्र ही है मुक्ति?