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भस्मारती / नंदकिशोर आचार्य
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एक दुनिया
जल-जल कर
भस्म हो गई है
उसके अन्दर
उसी भस्म से
करता वह अभिषेक स्वयं का
महाकाल हो जाता
उसको मल-मल कर