भाँति-भाँति के त्योहारों से / रेनू द्विवेदी
भाँति-भाँति के त्योहारों से,
सुरभित देश हमारा है।
नीला अम्बर धानी धरती,
भारत सबसे न्यारा है।
बलिदानी यह पावन मिट्टी,
नव उमंग नित भरती है।
कण-कण में है शौर्य-पराक्रम,
वीरों की यह धरती है
सारी धरा प्रकाशित इससे,
नभ का यह ध्रुव तारा है।
नीला अम्बर---
विविध रूप के धर्म-जाति हैं,
विविध रूप की बोली है।
सात-रंग की चूनर ओढ़े,
मौसम करे ठिठोली है।
मोक्षदायिनी माँ गंगा की,
अविरल बहती धारा है।
नीला अम्बर---
वेदों की बहुमूल्य ऋचाएँ,
जीवन मूल्य बतातीं हैं।
नैतिकता का पाठ पढ़ाकर
धर्म-कर्म सिखलातीं हैं।
सत्यमेव जयते के सम्मुख,
विश्व समूचा हारा है।
नीला अम्बर---
भूमि-गर्भ अनमोल खजाना,
रक्षा कवच हिमालय है।
संस्कृति इसकी बहुत अनूठी,
हर घर यँहा शिवालय है।
पावन इस धरती पर प्रभु ने,
सुन्दर स्वर्ग उतारा है।
नीला अम्बर---
सर्व-प्रथम भारत दर्शन कर,
धन्य-धन्य सूरज होता।
किरणों का उपहार भेंट कर,
बीज ख़ुशी के नित बोता।
देव नमन भी करतें झुककर
अद्भुत यहाँ नजारा है।
नीला अम्बर---