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भांढ़-भांढ़िन / धनन्जय मिश्र
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ऐलोॅ छै फेरू एंगना में
सुन्दर एक्टा लाल
हेकरोॅ खुशी में उड़ै लागलै
चारो ओर गुलाल।
देखी केॅ सुन्दर मुखड़ा
होलै सभ्भे निहाल
ऐंगना में जब घुड़की-घुड़की
खेलै लागलै लाल।
नूनू केॅ किलकारी सूनी
हर्षित होलै प्राण
जेनोॅ चढ़लै सोन चिरैया
फुदकी तुरत मचान।
भाँढ़-भाँढ़िन नाच करै छै
गावी मंगल गीत
कत्तेॅ दिनॉे केॅ बादे बाजै
ऐंगना में संगीत
भाँढ़-भाँढ़िन केॅ गीत सुनि केॅ
ऐलै टोला भर केॅ लोग
सभ्भे मिली केॅ नाच करै छै
सुन्दर सुखद संयोग।