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भाई-भाई लड़ रहे / सोना श्री

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भाई-भाई लड़ रहे, कैसा यह व्यवहार l
धन के लालच में हुआ, दूषित यह संसार ।।
दूषित यह संसार, नोट की फैली माया l
पैसा है भगवान, भाव यह सब पर छाया l
परिजन-प्रेम, ममत्व, मोह की छोड़ कमाई l
'सोना' लड़ते आज, सगे भाई से भाई ।।