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भाग्य से ही मुझे साथ तेरा मिला / बाबा बैद्यनाथ झा

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भाग्य से ही मुझे साथ तेरा मिला
जीतता हूँ तभी से सभी मैं क़िला

हर सफलता सरल मार्ग से मिल रही
चल रहा जीत का अब यही सिलसिला

खूब आगे बढ़ें हम सुयश भी मिले
आज कुछ भी नहीं अब बचा है गिला

साथ ऐसा बना ही रहे अंत तक
एक पर्वत मिले दें उसे हम हिला

स्वाद चक्खा नहीं है सुरा पान का
ज़ाम देती नज़र से मुझे तू पिला