भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
भाग भुंवाळी खावै / राजूराम बिजारणियां
Kavita Kosh से
छोरी
बगत सूं पैलां
क्यूं हुई जावै जुवान.!
इण दोघड़ चिंता में ई
उमर सूं पैलां
बूढी हुयगी मां।