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भाग - 5 / मेरी प्रिय गीत पहेलियाँ / श्रीप्रसाद

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बरखा से

बादल से इनका नाता है
बरखा से खुश होते हैं,
बड़ी-बड़ी अपनी पाँखों का
हरदम बोझा ढोते हैं

लेकिन इन पाँखों से ही तो
अपना नाच दिखाते हैं
तब ये पंख खोल चादर से
तन करके बन जाते हैं।
उत्तर: मोर

तुम खाओ

काले-काले गरमी वाले
तुम खाओ, तुम खाओ जी
मेरे लिए एक दोने में
नमक लगाकर लाओ जी

तीन पेड़ हैं बगियाभर में
भरे हुए हैं लदर-बदर
उठा-उठाकर हम खाते हैं
गिरे हुए हैं धरती पर।
उत्तर: जामुन

आना तुम

काट-काट करके खाते हैं
चूस-चूसकर खाते हैं
बारह रुपये किलो आजकल
मेरे घर में आते हैं

तुम्हें खिलाऊँगा मैं जी भर
मेरे घर पर आना तुम
लगी हुई है हाट इसी की
जितना मन हो, खाना तुम
उत्तर: आम

काले तन का

काले तन का, अच्छे मन का
उड़कर छत पर आता है
बोल-बोलकर जोर-जोर से
सबको सुबह जगाता है

इसकी बोली सुनकर कहते
आएगा मेहमान
पैनी-पैनी चोंच बड़ी-सी
इसकी है पहचान।
उत्तर: कौवा

रात आ गई

काली-काली रात आ गई
देता नहीं दिखाई
उसी समय घर में जादू-सी
एक चीज बस आई

हुई रोशनी पूरे घर में
नहीं रही अँधियारी
लेकिन करामात घर में यह
किसने की है सारी।
उत्तर: बिजली

हाथी-सी

काली-काली हाथी-सी
हर किसान की साथी-सी
ढेरों दूध पिलाती है
अच्छी ताकत आती है
बच्चों-सी ये भोली है
भारी इसकी बोली है
खाती भूसा-चारा ये
घ्ज्ञर की बड़ी सहाराये
दस हजार में आई है
दादी इसको लाई है
खूब बड़ी है, खूब बड़ी
एक पेड़ के पास खड़ी।
उत्तर: भैंस

काली-काली

काली-काली, बिलकुल काली
में-में-में-में बोली
दादी चली खेत पर जब, यह
साथ उन्हीं के हो ली

दादी दूध दुहेंगी इसका
इधर-उधर यह चरती
है तो बिलकुल सीधी-सादी
मगर न मुझसे डरती।
उत्तर: बकरी

गोल-गोल

गोल-गोल जल गया चमककर
उजियाली आई
और बुझा तो पूरे धर में
अँधियारी छाई।
उत्तर: बल्ब

छड़ी

यह है मोटी छड़ी बड़ी-सी
करती बड़ा उजाला
मगर न इसको ले जा सकते
जलती-जलती लाला।
उत्तर: ट्यूब लाइट

उड़े जा रहे

आसमान में उड़े जा रहे
जैसे चिड़िया उड़ती है
यह क्या है जो आगे-पीछे
ऊपर-ऊपर मुड़ती है

बड़ा शोर करती चलने पर
काफी बड़ी सवारी है
आगे डैने, पीछे डैने
चिड़िया कितनी भारी है।
उत्तर: जहाज

पीली उड़ी

पीली उड़ी, उड़ गई नीली
ऊँचेपर है लाल
हरी कर रही आसमान में
लेकिन बड़ा कमाल

इसको काटा, उसको काटा
फर-फर-फर उड़ती
काटकूट यह दाएँ-बाएँ
जल्दी से मुड़ती।
उत्तर: पतंग