भाग - 8 / मेरी प्रिय गीत पहेलियाँ / श्रीप्रसाद
सबका जीवन है
नदी और नालों में बहता
सागर में है भरा हुआ
तालाबों पर काई छाई
इसीलिए यह हरा हुआ
धरती पर सबका जीवन है
पर्वत पर यह झरना है
जी भर पीकर खुश हो जाओ
पर बरबाद न करना है।
उत्तर: पानी
जागी जया
पूरे घर में शोर मचाया
फिर भी नींद न भागी
जागी जया और जेतू भी
चिड़िया-चिड़िया जागी।
दादी बेटू-बेटू बोलीं
बेटू खाता दाना
दिनभर यह गाया करता है
टें-टें-टें-टें गाना।
उत्तर: तोता
पत्ते के भीतर
पत्ते के भीतर पत्ता है
भीतर-भीतर पत्ता
सब्जी गरम बनी है इसकी
छू मत लेना तत्ता।
उँगली चाट-चाटकर खाओ
सब्जी पत्ते वाली
सिर की तरह गोल है बिलकुल
ले आया है माली।
उत्तर: पालगोभी
भूरा-भूरा
कुदुक-फुदुककर भाग रहा है
एक रूई का गोला-सा
भूरा-भूरा रेशम जैसा
सीधा-सादा भोला-सा
कान खड़े हैं, बड़े-बड़े हैं
गोदी में आ जाता है
कुछ दाना बिखेर दो इसको
कुट-कुट-कुट-कुट खाता है।
उत्तर: खरगोश
छल्ले-सी
खट्ठी-खट्ठी लटक रही है
मीठी आई नीचे
मैंने पूरी एक उठाकर
चट से खाई नीचे
इ इसका पहला अक्षर है
क्या तुम जान गए हो
गोल-गोल छल्ले-सी होती
तुम पहचान गए हो।
उत्तर: इमली
गुटुरगूँ
गुटुर-गुटुरगूँ, गुटुर-गुटुरगूँ
छत पर बोल रहे हैं
धीरे-धीरे बड़ी मौज से
ये सब डोलरहे हैं
भूरे मटमैले सफेद हैं
बड़ी दूर उड़ जाते
घूम-घामकर आसमान से
फिर ये वापस आते।
उत्तर: कबूतर
गरदन है लंबी
गोल-गोल गरदन है लंबी
बड़े-बड़े हैं पाँव
बड़े कायदे से बैठा है
यह बरगद की छाँव
इस पर बैठ चलोगे यदि तुम
छू लोगे आकाश
एक छलाँग लगा पहुँचोगे
तुम चंदा के पास।
उत्तर: ऊँट
छप्पैयाँ
चार पाँव हैं खंभे जैसे
छप्पक छप्पक छप्पैयाँ
झूम-झूमकर जल्दी-जल्दी
चलते हैं लैयाँपैयाँ
कान सूप हैं, खूब रूप है
चले जा रहे हैं ये घर
अगर पीठ पर बैठें इनकी
गिर जाएँगे लदर-बदर।
उत्तर: हाथी
जाड़े का मेवा
जाड़े का मेवा, जाड़े में
मिल-जुलकर खाओ
गरमागरम, सड़क पर इसको
जगह-जगह पाओ
जाने क्यों, गरमी में इसमें
स्वाद नहीं आता
इसलिए गरमी में कोई भी
इसे नहीं खाता।
उत्तर: मूँगफली
टिक-टिक
चलती ही रहती है हरदम
दिन हो, चाहे रात
टिक-टिक-टिक बोला करती है
कहती है कुछ बात।
उत्तर: घड़ी
ठीक सामने
मेरे मुँह के ठीक सामने
मेरा मुँह है कैसे
चमकीली-सी एक चीज है
दिखा रही मुँह ऐसे।
उत्तर: आइना