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भाग - 9 / मेरी प्रिय गीत पहेलियाँ / श्रीप्रसाद

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गरज रहे हैं

गरज रहे हैं, बरस रहे हैं
आसमान है भरा हुआ
सारी धरती हरी हो गई
पेड़-पेड़ है हरा हुआ

नदी भरी, तालाब भर गये
लेकिन बात हुई है क्या
कल सूखी-सूखी बगिया थी
आज हुआ सब नया-नया।
उत्तर: बादल

बतलाओ अब

जिसे कान हैं छोटे-छोटे
जिसकी गरदन गोल
जो चलता है छप्पक-छप्पक
बल-बल-बल हैं बोल

और दौड़ता सरपट-सरपट
लगती जिसे लगाम
बतलाओ अब इस प्राणी का
क्या है आखिर नाम।
उत्तर: ऊँट

सवारी ऐसी

पहिये तीन, सवारी ऐसी
एक आदमी खींचे
हत्थे को दोनों हाथों से
कस करके है भींचे

बेचारा गरीब है, मेहनत
कितनी ज्यादा करता
कौन सवारी है यह जिससे
पेट इस तरह भरता।
उत्तर: रिक्शा

तीन रंग हैं

तीन रंग हैं, लहर रहा है
आसमान में फर-फर-फर
लगा हुआ है मेरे घर में
आगे ही मुँडेरे पर

दफ्तर पर, विद्यालय पर है
कई मकानों के ऊपर
अमिता भी लेकर आई है
सुंदर से दो अपने घर।
उत्तर: तिरंगा झंडा

हैलो

बातें करते चलते जाते
चलता-फिरता टेलीफोन
बस में हों या रेल जा रही
कहते जाते हैलो, कौन

यह छोटे चूहे जैसा है
दूर-दूर करवाता बात
यह पूरा जादू-सा ही है
बात करो दिन हो या रात।
उत्तर: मोबाइल

गरजन है ऐसी

डरा दिये जंगल के प्राणी
गरजन है ऐसी
लंबी पूँछ, देह भारी-सी
गरदन है कैसी

एक पैस के नीचे आकर
खड़े हुए हैं ये
कभी किसी झाड़ी के पीछे
पड़े हुए हैं ये

बड़ी शान से ये रहते हैं
कुछ परवाह नहीं
जैसे इनको किसी चीज की
कोई चाह नहीं।
उत्तर: शेर

गाना आया

बटन दबाया, गाना आया
डिब्बा शीशे वाला
रखा हुआ है यह कोने में
जादू एक निराला

नाच देखते, खबरें सुनते
बहलाते मन अपना
वैसे कोई बात नहीं है
पर लगता यह सपना।
उत्तर: टीवी

सुबह हुई

सुबह हुई, आ गये जगाने
बिना घड़ी के जागे
तब तैयार हुए पढ़ने को
बस्ता लेकर भागे

लेकिन इन्हें जगाया किसने
फिर कैसे यह जाना
सुबह हो गई, सब लोगों को
अब है मुझे जगाना
उत्तर: मुरगा

खड़ी-खड़ी ही

खड़ी-खड़ी ही चलती रहती
मुसकाती है आले में
ताऊ डर के मारे रखते
हरदम उसको ताले में।
उत्तर: घड़ी

दिन लाया

दिन लाया, दिन को चमकाया
दिन को लेकर चला गया
आज आग जैसी बरसाई
घास-पात सब जला गया।
उत्तर: सूरज

घटती है

धूप देखकर आ जाती है
घटती है, बढ़ जाती है
चलते हैं तो पीछे-पीछे
छूती-छूती आती है

हो जाती है छूमंतर यह
छिप जाती है धूप अगर
और धूप के आते ही फिर
चलती है साथी बनकर।
उत्तर: छाया