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भात / अरविन्द श्रीवास्तव
Kavita Kosh से
भाड़ में जाओ दुनिया के खूबसूरत चेहरों
क्रांति गीत और लाल आकाश
प्रेम-मिलन के भावुक शब्दों
गंध की तलाश में भटकती आत्माओं
मेरी भावानाओं के सिपहसालारों
सिगरेट और माचिस के बुद्धिवर्धक डब्बों
नदी में आई बाढ़ रोकने वाले आभियंताओं..
जबतक भात नहीं मिल जाता कॉमरेड
मैं पूर्वी एशिया से बेदखल हूँ !