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भाभी / लालित्य ललित
Kavita Kosh से
जब तक ननद
घर में रहती है
कूदती-फांदती है
भाभी से बतियाती है
शादी होते ही एक दीवार -
खिंच जाती है
ननद-भाभी के बीच
ननद अब दूसरे घर की -
हो गई
भाभी जो इस घर की हो -
गई
भाई ख़ामोश है
भाभी के पल्लू से बंधा है