भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारत-सुषमा - १ / यदुनाथ झा 'यदुवर'

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वर्ग सदृश सुख दायक सजनी
सब विधि भारत देश
नन्दनवन सम सुन्दर सजनी
मोहथि देखि सुरेश।
हमर सबहि विधि ओ छथि सजनी
गति मति आओर प्राण,
पुनि अवलम्ब सनातन सजनी
सँ छथि करइत त्राण।
परम पुनीत रेणुकण सजनी
धारणीय थिक शीश,
श्रद्धा भक्ति समन्वित सजनी
अछि प्रणम्यवत ईश।
सुखमय-अंक वैशि हुनि सजनी
जीवन लाभ करैछि,
अपन समक्ष आनकेँ सजनी
तृणवत हृदय बुझैछि।
दयाखानि भारत महि सजनी
विश्व मुग्ध केनिहारि
सुधा समान शस्य, पय सजनी
वसुधाकेँ देनिहारि
‘यदुवर’ कल्पलता सम सजनी
भगवति भारत भूमि,
हुनि पद-पद्म युगल दल सजनी
रहु मधुकर मन चूमि।