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भारत-सुषमा - २ / यदुनाथ झा 'यदुवर'

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भारत हमर जगत बिच सजनी
सभसँ रम्य महान,
एहि उपवनक थिकहुँ पिक सजनी
यैह हमर उद्यान।
कोनहु देश बसब हम सजनी
रहत एतहि नित ध्यान,
जतय हृदय तत देहो सजनी
तन मन एकहि जान।
भूमिक अचल महापति सजनी
चुम्बथि उच्चाकाश
हिमगिरि पथ रक्षक जहँ सजनी
छथि हितकारक पास।
बहथि जतय सँ अगणित सजनी
रम्य नदी नद धार,
नन्दनवन सम राजथि सजनी
भारत सुषमागार।
शुचि धारा सुरसरि जहँ सजनी
बहि कर पाप संहार,
विचरथि, मज्जथि जहँ नित सजनी
अमर वृन्द कय प्यार।
मिस्र, रूस, यूनानक सजनी
नहि अछि प्राचिन ठाम,
ईश्वर कृपा किन्तु अछि सजनी
औखन भारत नाम।
पारस्परिक द्वेष नहि सजनी
सिखबथि कोनो धर्म,
रहब सुहृदवत हम सब सजनी
करब देशहित कर्म।
आन कार्य संसारक सजनी
करितहि छी नित वेश,
होयत हर्ष तखन बड़ सजनी
सुधरत जखन स्वदेश।
द्वेषभाव तजि, सभ मिलि सजनी
कहब जखन जय देश!
पूर्ण देशव्रत धारन सजनी
थिक कर्त्तव्य विशेष।
जन यदुवर गावल इह सजनी
प्रमुदित भारत गीत
बढ़वथि ईश सतत उर सजनी
जन्मभूमि शुचि प्रीत।