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भारत के सन्तान / राम सिंहासन सिंह

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हिन्दू मुस्लिम, सिख, ईसाई के पावन अस्थान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।

साछी हे इतिहास कि येकरा पर केतना विपदा आयल
कर हथौड़ा मार-मार के कयलक येकरा हे घायल
अन्त-अन्त में सब हारल जेतना आँधी तुफान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।

धरती उगलऽ हे सोना आऊ रूख बिरूख भी अमृत फल
सांति-एकता के गाना गावऽ हे कल-कल सितल जल
अरथ-धरम आऊ काम-मोक्ष सब नदियन के वरदान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।

धवलगिरी, रतनगिरी, रामगिरी ईहाँ के परबत
ऊँचगर-ऊँचगर चोटी पर सब सोह रहल हे दरखत
बड़-छोटगर सब परबत गन के हिमालय कपतान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।

यहाँ के अदमी में झलक हे राम-किसन के जोती
अनपढ़ भी पढ़ ले हे झट अच्छर अढ़ाय के पोथी
औरत सब ममता के देवी मरदन सब इनसान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।

लड़-लड़के सब मिल-मिल जा हथ जईसे ठुनके बरतन
जनम भूमि पर सब न्योछावर तन-मन आऊ जीवन धन
दे-दे खून खरीदे भगती भारत के संतान हे।
चार धरम के चौकी हे ई भारत हिन्दुस्तान हे।।