Last modified on 28 सितम्बर 2018, at 00:38

भारत जननि तेरी जय हो / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'

(राग वागेश्वरी, झपताल)

भारत जननि ! तेरी जय, तेरी जय हो।

हों वीर, रणधीर तेरी सु-सन्तान
तेरी सभी संकटों पर विजय हो।

आज़ाद, अश्फ़ाक, बिस्मिल, खुदीराम
उधम, भगत सिंह का फिर उदय हो।

चारू की, राजू की, किस्टा-भुमैया की
जौहर की आवाज गुँजित अभय हो।

जनगण हों आज़ाद, कायम हो जनवाद
सत्ता निरंकुश का अन्तिम प्रलय हो।

रचनाकाल : 18.02.1984