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भारत जननि तेरी जय हो / रमाकांत द्विवेदी 'रमता'
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(राग वागेश्वरी, झपताल)
भारत जननि ! तेरी जय, तेरी जय हो।
हों वीर, रणधीर तेरी सु-सन्तान
तेरी सभी संकटों पर विजय हो।
आज़ाद, अश्फ़ाक, बिस्मिल, खुदीराम
उधम, भगत सिंह का फिर उदय हो।
चारू की, राजू की, किस्टा-भुमैया की
जौहर की आवाज गुँजित अभय हो।
जनगण हों आज़ाद, कायम हो जनवाद
सत्ता निरंकुश का अन्तिम प्रलय हो।
रचनाकाल : 18.02.1984