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भारत होकर भी भारत के विरुद्ध हो / संजय तिवारी

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भारत होकर भी भारत के विरुद्ध हो
कैसे कहूँ कि तुम बुद्ध हो
याद है तुम्हें दुष्यंत?
पुरुवंश का राजकुमार?
आखेटक
आकर्षक
आवर्तक
अपवर्तक
अभिप्रेरक
अभिलेखक
अभिवादक
अनुपालक
अविभाजक
अभिजातक
अनुप्रेरक
अनुवेदक
आवेदक
ऋषि कण्व ने दिया आश्रय
और दिया आवेदन का अधिकार
मचल उठा राजकुमार
ऋषि की पोष्य दुहिता शकुंतला
दुष्यंत हो गया उतावला
ह्रदय से उठी आह
कर लिया विवाह
लौट कर राज काज में हुआ मशगूल
सबकुछ गया भूल
शकुंतला की कोख भरी थी
पुत्र को गोद में लिए वह खड़ी थी
लेकिन विधि का अद्भुत विधान था
राजा अपनी ही पत्नी
और पुत्र का अस्तित्व से अनजान था
सुना है यह दुर्वासा का शाप था
शकुंतला के लिए अभिधाप था
शकुंतला कैसे लाती प्रमाण
दुष्यंत से प्राप्त मुद्रिका गिर गयी थी
मछली के पेट से मछुआरे को मिली थी
मुद्रिका में ही बेस थे उसके प्राण
वही थी माता - पुत्र के अस्तित्व का प्रमाण
मुदिका देख दुष्यंत को याद आ गया
पत्नी के साथ उसके आँचल का शिशु भी भा गया
वही शिशु है भरत जिससे पहचाने गए
हम सब भारत बने और जाने गए
राष्ट्र की संज्ञा बना दुष्यंत के पुत्र का नाम
शकुंतला के लिए अद्भुत है यह इनाम
 तुम्हें तो नहीं दिया किसी ऋषि ने शाप
फिर भी मुझेऔर मेरे पुत्र को
क्यों झेलना पड़ा
पति और पिता के जीवित रहते
अनाथ होने का अभिशाप?
तुम्हारे कथित ज्ञान की गठरी में
यदि मिले कोई उत्तर
मेरे तुम्हारे बीच के अंतर का कोई स्तर
किसी परत में बची हो कोई सवेदना
इसीलिए यह राज खोल रही हूँ
हाँ गौतम?
मैं तुम्हारी भार्या
राहुल की माता
यशोधरा ही बोल रही हूँ।