भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भारे भेलै हे पिया, भिनसरबा भेलै हे / मैथिली लोकगीत

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

मैथिली लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

भारे भेलै हे पिया, भिनसरबा भेलै हे
उठू ने पलंगिया तेजि, केाइलिया बोलै हे
उठबे करबै गे धनी, हम उठबे करबै के
दही ने मुरेठबा, हम कलकतबा जेबै गे
कलकतबा जयबऽ हे पिया, कलकतबा जयबऽ हे
हम बाबा के बजाइये कऽ, नैहरबा जयबऽ हे
नैहरबा जेबही गे धनी, नैहरबा जेबही गे
जतबा लागल-ए रुपैया, धैये दहिन गे
धैये जयबऽ हे पिया, हम धैये जयबऽ हे
जेहने एलिऐ बाबा घर सऽ, बनाइये देबौ गे
हम मोतीचूर के लडुआ खुआइये देबौ के
नहिये बनबै हे पिया, हम नहिये बनबै हे
जेहन एलिऐ बाबा घर सऽ, नहिये बनबै हे