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भालू भी कानै छै / दिनेश बाबा

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देखैं एक मदारी ऐलै
खेत रोॅ आरी-आरी ऐलै
साथोॅ में भालू छै एक
खेल तमाशा करै अनेक
डिम-डिम-डिम-डिम बाजै डमरू
खेल देखै लेॅ जुटलै बुतरू
खेल तमाशा करै मदारी
घुरी फिरी केॅ द्वारी द्वारी
कोय चूड़ा-गुड़ कोय दै धान
होय जाय छै होकरो जलपान
लोगें कहाँ ई जानै छै
अकि भालू भी कानै छै
वें नैं केकर्हौ नोचै छै
पता नैं की की सोचै छै
मतर गुलामी सें पीड़ित वें
लोर आँख रोॅ पोछै छै