भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भाषा रोॅ सुगन्ध / जटाधर दुबे

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आपनोॅ खेतोॅ मे
रौदोॅ में काम करथौं
सुकून मिलै छै।
दोसरा रोॅ खेतोॅ में
ठंढोॅ में काम करोॅ
तेॅ कहैभेॅ मजूर।

आपनोॅ भाषा में
लिखै, पढ़ै, बोलै में
आपनोॅ खेतोॅ केॅ
वहेॅ सुगन्ध मिलै छै।

हे सुधीजन!
कब तलक
पराया भाषा केॅ खेतोॅ में
मजूरी करभेॅ?
आपनोॅ भाषा में
काम करी केॅ
मालिक तेॅ बनोॅ!