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भिखमंगों का ईश्वर / कृष्ण कुमार यादव

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मंदिर के सामने
भिखमंगों की कतारें
एक साथ ही उनके कटोरे

ऐसे आगे बढ़ जाते हैं
मानों सब यंत्रवत हों

दस-दस पैसे की बाट जोहते वे
मंदिर के सामने होकर भी
मंदिर में नहीं जाते

क्योंकि वे सिर्फ
एक ही ईश्वर को जानते हैं
जो उनके कटोरे में
पैसे गिरा देता है ।