भींतां रौ विखौ / चंद्रप्रकाश देवल
भींतां हरमेस
आपरै व्हैण री अबखाई झेलै
वांनै सावळ ठाह ई कोनीं
वै जठै व्हैला
वांरी तकदीरां धुरड़णौ लिख्यौ व्हैला
चुणण री बगत सूं इज
कोई वांनै धुरड़ावण री सोचतौ व्हैला
भींतां असल में जांणै ई कोनीं
के लोग वांरै नीं रैवण री माळा फेरै
भींतां नै ठाह ई कोनीं
वै लोगां नै बांटै है न्यारा-न्यारा
भींतां नै वैम है
वांरै पड़तां ई पड़ जावैला डीगाई
के पछै सचवाई हदूद बिखर जावैला
बारलौ पांणी मांय बड़ जावैला
उडीकौ
औ खिलकौ बेगौ इज व्हैला
रंगरंगीली टोपियां ओढ़्यां
भींतां आपरी गुद्दी कुचरै
वै जद नीं व्हैला
सगळी जातां सगळ-बगळ व्है जावैला
धरम आपरी अछोपाई पांतरैला
सगळौ धूड़-धांणी
कोट, कोट नीं रेवैला
नीं रावळौ, रावळौ
चारूं दिस सपाट उजाड़
गाय बकरियां घरां में
पाधरी ताक-झांक करैला
करैला बायरौ सगळी ठौड़ आंण-जांण
मिंदर आंमण-दूमणा
अर कब्रिस्तान रोवै है भूंडै ढाळै
भींतां रै ओलै
वै आंतरै हा
जीवता मिनखां रै सूगलवाड़ै सूं
मसीत मांय सूं निकळ परी
परभातै-परभातै पाधरी पूग जावैला
अजांन
तुळसीक्यारा रै अैन पाखती
भाईचारा रौ सनेस
प्रोटोकॉल तोड़
पाधरौ आय बाजैला कनला देस सूं
भींतां नीं व्हैला
तौ भाई कीकर न्यारा व्हैला
समझ में नीं आवै
अपां मांडणा कठै मांडांला
ढाबौ, ढाबौ भींतां नै
धुरड़ण मत दो
छोरा घोड़ा-पलांण किण माथै बैठैला
चौमासै मोरपगी1 कठै ऊगैला
संत आगमण रा वावोड़
‘रिश्ते ही रिश्ते’
के पछै गुप्ताऊ मांदगी रै इलाज री ठौड़
कीकर लाधैला
फलांणा निसांण माथै चौकड़ी लगावण री
अरदास रा कांई हवाल व्हैला
लोकतंतर सारू जरूरी है भींतां
लोगां रौ सुभीतौ है भींतां
कीरत रा कमठांण है भींतां
जठै आदमी रै मूतण री आजादी पळै
मिनख री सभ्यता रौ ढांपण है भींतां
हां, वांनै धुरेड़णी व्है
तौ हाथ लगावण री आथ ई जरूत नीं
बस, रात रै अंधारै
मांड दो वां माथै
6 दिसम्बर रो आंक
वै मतै ई ढसक जावैला
भींतां री कित्ती ई करावौ मरम्मत
वांरै बिखरण री पीड़ सूं
ईंट-ईंट टसकै
इण सारू वै हरदम दुखी रेवै।
1- चौमासै ढूंढां री भींत माथै ऊगण वाळी अेक रूंखड़ी, जिकी मोर्या रै पंजा जैड़ी व्है अर टाबरां रै कांन दूखै तौ बांट नै उणरौ पांणी कांन में न्हाखै।