भीग रहे हैं बाँज, देवदार, चीड़
बादलों की ओट में
दूर हिमालय निर्वसन
झीने परदे के पार नहा रहा है
अनासक्ति आश्रम में ।
इस दृश्य से आसक्त दो मित्र
भीग रहे हैं
कौसानी की एक गहराती शाम में
भीग रहे हैं बाँज, देवदार, चीड़
बादलों की ओट में
दूर हिमालय निर्वसन
झीने परदे के पार नहा रहा है
अनासक्ति आश्रम में ।
इस दृश्य से आसक्त दो मित्र
भीग रहे हैं
कौसानी की एक गहराती शाम में