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भीलणी आंथण / कन्हैया लाल सेठिया

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कर’र
आखै दिन
गिगनार रै खेत में काम
आवै घरां चकचूनरयां री पाजेबां बजाती
जोध जवान
भीलणी सिंझ्या !
ल्यावै लारोलार
बीं रो मोटयार अंधेरो
टोर’र
तारां री एवड़
देख’र भरीजगी नेह स्यूं
दिवलां री छात्यां
फिरग्या सोनल जोत रै बारोकर
हियै रा आंधा पतंग
पण कोनी आया नेड़ा
बै आगिया
जकां में है निज री ऊरजा !