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भूख बापड़ी / राजू सारसर ‘राज’

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पसवाड़ै
घर में
माचरियौ है
कागारोळो
अणूता अरड़ावै
टींगर
‘‘म्हूं लेवस्यू.....म्हूं ई लेवस्यूं
ओ रे....।’’
री टेक
नीसरै‘‘पड़दा पाड़ राग’’ बण’र।
सुणीजै आ ‘‘घोतरड़ राग’’
गांव सूं उपरां कर
ढळती सांझ री
मिंदर में होंवती
आरती रै पूरीजतै
पंचांड संख ज्यूं।
साम्ही सातूं सिंझ्या,
काढै गाळां
मरण-खपण री
आखती होयैड़ी डोकरी।
बासण फेंकती
सोकण रै टाबर ज्यूं
घर धणियाणी
लागै पाड़ौसी रा
भूखा टाबर
आपसरी में
लड़पड़िया,
रोटी खातर।