भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

भूमध्य रेखा पर बसी दुनिया / रूचि भल्ला

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

स्वर्णा बाई फल्टन में रहती है
फल्टन ही उसकी दुनिया है
दुनिया से बाहर की दुनिया भी स्वर्णा जानती है
पूछने पर बताती है वह दिल्ली जानती है
दिल्ली वही है जहाँ शिंदे साब टूर पर जाता है
शिंदे साब वही है जो फल्टन में रहता है
जहाँ वह काम करती है
स्वर्णा की दुनिया फल्टन है
फल्टन से बाहर की दुनिया
उसने देखी है लोगों की ज़ुबानी
सुनी-सुनाई बातों पर वह यकीन से कहती है
वह दिल्ली जानती है
स्वर्णा के लिए दिल्ली राजनीति का गढ़ नहीं
लाल किले पर फहराता तिरंगा नहीं
इंडिया गेट से अंदर जाने का रास्ता नहीं
दिल्ली दिल्ली है
जहाँ शिंदे साब टूर पर जाता है