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भूमिका / मुइसेर येनिया
Kavita Kosh से
मैं
जब भी
कविता लिखती हूँ,
मेरी आत्मा
नृत्य करती है ।
उस वक़्त
तमाम जगहें,
समय और उम्मीद
मेरे हो जाते हैं ।
यह अस्तित्व का आनन्द है ।
ख़्वाब का दरवाजा
बस, खुलने के
इन्तज़ार में है,
वह जगह
सम्पूर्ण अन्तरात्मा है
ईश्वर की तरह ।