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भूरी बिल्ली आई दिल्ली / शकुंतला कालरा
Kavita Kosh से
भूरी बिल्ली आई दिल्ली,
लोग उड़ाएँ उसकी खिल्ली।
चूहों की मौसी कहलाई,
तब से उस पर आफत आई।
चूहे रहते शोर मचाते,
सारे उसके सिर चढ़ जाते।
उसका रौब रहा ना कोई,
मन ही मन वह कितना रोई।
निकले ना अब म्याऊँ-म्याऊँ,
सोचे इनको कैसे खाऊँ।
हरदम रहती घात लगाए,
कोई मोटा चूहा आए।
देख समझ उसकी चतुराई,
चूहों ने इक सभा बुलाई।
सुनो-सुनो, हे बिल्ली रानी,
आई है कुत्तों की नानी।
खाती बिल्ली बारी-बारी,
आया तुम पर संकट भारी।
डर के मारे भूरी बिल्ली,
भागी झटपट, छोड़ी दिल्ली।