हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
माना की माता बोलती मेरा माना आइये
बेटा बादसाह के दलां में तू सन्मुख जाइये
तेग झमकती देख के भय मत ना खाइये
लोथा ऊपर लोथ पड़ै मत एडी ठाइये
रतनसिंह के नाम पर सम्मुख मर जाइये
जै तूं आवै भाज के मुंह मत दिखलाइये
अच्छा सा जोगी देख कै जा कान पड़ाइये
ठेकरा ले लीये हाथ में मांगिये अर खाइये
और घणी रे माना के कहूं
मां के दूध कै मत लाणा लाइये