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भूलकर शिकवे-गिले, अब आइए / तुम्हारे लिए, बस / मधुप मोहता
Kavita Kosh से
भूलकर शिकवे-गिले, अब आइए
याद बनकर दिल में अब बस जाइए,
जाने-जाँ जाना है तो जाइए
जाते-जाते जान भी ले जाइए,
दिल है ख़ाली और तन्हा है समाँ
आइए, अब आप भी आ जाइए,
चाँदनी, बरसात, ख़ुशबू, कहकशाँ
कोई भी सूरत हो, आ तो जाइए,
हैं अगर नाराज़ तो कह दीजिए
वरना मेरे दिल में घर कर जाइए।