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भूलता है दिल न वह मंज़र सुहाना / रंजना वर्मा

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भूलता है दिल न वह मंज़र सुहाना
रात आधी श्याम का वंशी बजाना

तीर यमुना के अनेक कीं किलोलें
ग्वाल बालों सङ्ग वह गउएँ चराना

फोड़ देना मटकियाँ सब गोपियों की
और घुस कर गेह में माखन चुराना

भूल बैठा राधिका का प्यार मोहन
वो विपिन में मुग्ध राधा को बुलाना

वो ही शैशव बालछवि वह दृष्टि चंचल
बस वही मूरत सदा मन में बसाना