भूलो खलक झलक माया की।
राचो रंग संग नहिं जाके बैठो नहीं ओर छाया की।
उर अभमान मान मद झूलो मून मरजाद तजी काया की।
करत जुंध वर वंुध सुंध नहिं छोड़ी टेक धर्म साया की।
जुग नहिं फूट छूट फिर लागत कृपा नहीं राम राया की।
जूड़ीराम रहस रघुवर को कर सुर तार बीन बजा की।