भूलो भले बीजू बधू / गुजराती लोक कविता
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भूलो भले बीजू बधू माँ बाप ने भुलसो नही
अगणीत से उपकार ऐना एह विशर्सो नही
अशःय वेठी वेदना त्यारे दिठु तम मुख्डू
ऐ पुनीत जन ना काळजा पत्थर बनी छुन्द्सो नही
काढ़ी मुखे थी कोडिया मो मा दई मोटा करिया
अमृत तना देणार सामे, जहर उचर्सो नही
लाखो लडाव्या लाड तमने कोड सव पूरा करया
ऐ कोड ना पुर्नारना कोड पुरवा भुलसो नही
लाखो कमाता हो भले , माँ बाप जेना ना थर्या
ऐ लाख नही पण राखे छे ऐ मान्वु भुलसो नही
संतान थी सेवा चाहो , संतान छो सेवा करो
जेवू करो तेवु भरो ऐ भावना भुलसो नही
भीने सुई पोते सूखे सुवाडया आपने
एनी अमी मय आँख ने भूली ने भिनव्सो नही
पुष्पों बिछावया जेने तमारा राह पर
ऐ राहबर नी राह पर ना कंकर बनशो नही
धन खराचता मळ्शे बधू माँ बाप मळ्शे नही
ऐना पुनीत चरणों तनी,चाहना भुलसो नही