पहाड़ों से टकराती है
करती है बगावत
पत्थरों से किनारों से
मिलने के लिए
समुद्र से
कुछ भी करने को आतुर नदी
भूल जाती है
समुद्र से मिलना
मिठास खोना है।
पहाड़ों से टकराती है
करती है बगावत
पत्थरों से किनारों से
मिलने के लिए
समुद्र से
कुछ भी करने को आतुर नदी
भूल जाती है
समुद्र से मिलना
मिठास खोना है।