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भेद / कन्हैया लाल सेठिया
Kavita Kosh से
कोनी
आखडयो में
आखड़गी
एक उंतावळ
जाणै ईं मरम नै
ओ मारग !
कोनी
ठमक्यो मैं
ठमकग्यो एक
सिरजण
जाणै ईं साच नै
म्हारी कलम !
कोनी
मरूं मैं
मरसी एक हूण
जाणैं ईं भेद नै
म्हारी उमर !