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भैया मुझको पाठ पढ़ा दो / प्रभुदयाल श्रीवास्तव
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भैया मुझको पाठ पढ़ा दो
गणित समझ में मुझे न आती
रोज़ रात को पढ़ती हूँ मैं
सुबह भूल सारा जाती हूँ
शाला जाने पर शिक्षक से
भैया हाय मार खाती हूँ
भय के कारण बाबूजी से
कुछ भी नहीं बता मैं पाती
भैया मुझको पाठ पढ़ा दो
गणित समझ में मुझे न आती
आज गणित न समझाओगे
तो मैं शाला न जाऊँगी
घर के किसी एक कोनों में
जाकर मैं तो छुप जाऊँगी
बार-बार तुमसे कहने में
मुझको शर्म बहुत अब आती
भैया मुझको पाठ पढ़ा दो
गणित समझ में मुझे न आती
भैया ने समझाया बहना
सीखो कठिन परिश्रम करना
काम कठिन कितना भी आये
रहना निडर कभी न डरना
जो पढ़ता है समय, नियम से
उसे सफलता मिल ही जाती